मेरी पहली चुदाई: बड़े भैया के साथ रात रंगीन हुई

भाई बहन का सेक्सी प्यार कैसे शुरू हुआ और कहाँ तक पहुंचा … मेरा भाई खेलते समय मेरे जिस्म को छेड़ता रहता था. मुझे भी अच्छा लगता था.

दोस्तो, मैं आज आप लोगों को अपनी जिंदगी में घटी एक सच घटना के बारे में बताने जा रही हूँ.

ये बात तब की है जब मैं पढ़ती थी.

मेरे बड़े भाई भी मेरे साथ पढ़ते थे.
हम दोनों का साथ में पढ़ना, साथ खाना, साथ खेलना ये नियमित रूटीन था.

मैं उस समय सेक्स जैसे शब्द से भी अनजान थी. मैं आपको ये इसलिए बता रही हूँ कि कुछ घटनाएं ऐसी होती हैं जो बाद में समझ आती हैं.

मेरे साथ जो हुआ था वो मुझे कुछ समय बाद समझ आया कि वो क्या था.
वो बहन का सेक्सी प्यार था.

हुआ ये कि मेरा भाई खेलते खेलते कभी मेरे बूब्स दबा देता या कभी मेरे हिप्स दबा देता था.
मैं इन बातों से बिल्कुल अनजान थी इसलिए उसकी इन बातों को कभी गौर नहीं करती थी.

हमारे घर में मैं मां के साथ सोती थी. भाई अकेला अलग रूम में … और पापा अलग रूम में सोते थे.

दीवाली की साफ सफाई चल रही थी.
घर में सभी सामान अस्त व्यस्त होने की वजह से उस दिन पापा मम्मी भाई और मैं सब लोग एक साथ ही सो रहे थे.

तभी मुझे नींद में महसूस हुआ कि कोई मेरे मम्मों को दबा रहा है.
मैं समझ नहीं पाई कि ये क्या हो रहा है.
हालांकि मैं मेरा भाई खेलते समय मेरे दूध दबा देता था मगर आज नींद में ये कैसे हो रहा है.

फिर भी मैं आंख बंद करके सोई रही.

थोड़ी देर बूब्स दबाने के बाद उसका हाथ मेरी पैंट के नीचे जाने लगा.
तब भी मैं चुप रही.

अब उसका हाथ बिल्कुल मेरी चूत पर था.

एक बार तो मैंने उसका हाथ हटा दिया पर वो दुबारा वहीं अपना हाथ लेकर आ गया और मेरी चूत को सहलाने लगा.

मैं चुप रही कि अभी कुछ बोलूंगी तो भाई के साथ साथ मैं भी पापा से पिटूंगी.
इसलिए मैं चुप रही.

मेरी इस चुप्पी को भाई ने मेरी रजामंदी समझ ली.
अब मेरा भाई अपनी उंगली मेरी चूत में घुसाने की कोशिश करने लगा.

कुछ ही देर में वो अपनी इस हरकत में कामयाब भी हो गया.

मैं आपको सच बताऊं कि मुझे भी अच्छा लगने लगा था.
इस वजह से मैं चुपचाप बनी रही.
वो जो कुछ करता रहा, मैं चुपचाप करवाती रही.

इस तरह वो करीब 20 मिनट तक करता रहा. फिर मेरी चूत के अन्दर से कुछ तरल सा निकला, तो मैं एकदम से थकी हुई सी महसूस करने लगी.

फिर भाई ने अपना हाथ निकाल कर मेरी सलवार में ही हाथ पौंछा और मुँह फेर कर सो गया.

पर मैं उस आनन्द को सोचती सोचती सुबह 5 बजे सो पाई जिस वजह से सुबह देर से उठी और मुझे मम्मी पापा दोनों से डांट भी सुननी पड़ी.

अगले दिन भाई मुझसे नज़र भी नहीं मिला पा रहा था, न ही उस दिन वो मेरे साथ खेला और न साथ में खाना खाया.

कुछ दिन वो वैसे ही रहा, फिर कुछ नार्मल हुआ तो बातचीत शुरू हुई.

इस तरह उस बात को काफी समय बीत गया.

वो मौका मिलते ही मेरी चूत में उंगली करने लगता था या मेरे दूध मसलने लगा था.
मुझे भी मजा आने लगा था तो मैं भी कुछ नहीं कहती थी.

एक दिन मम्मी पापा को किसी काम से घर से बाहर जाना हुआ.
वो दोनों 2 दिनों के लिए बाहर गए थे.

मैं तब खाना बना लेती थी तो मम्मी पापा हम दोनों को घर में छोड़ कर चले गए.

अब मैं बड़ी क्लास की स्टूडेंट थी और भाई इंजीनियरिंग का स्टूडेंट बन गया था.

मैं रात का खाना बनाकर उसको देने गयी तो वो लैपटॉप पर शायद पोर्न देखने में बिजी था.
लैपटॉप का साउंड तो कम था पर इतना भी कम नहीं कि मेरे कानों तक नहीं आ सके.

मैंने भी पूछ लिया- भाई तुम्हारे लैपटॉप से ये कैसी आवाज़ आ रही है?

उसने झटके में लैपटॉप को बंद कर दिया.
मैं भी उसको खाना देकर नहाने चली गयी. मैं अपने रूम के बाथरूम में होने की वजह से दरवाजा को बंद करने के बजाए सिर्फ़ भिड़ा कर नहाने लगी.

अभी मैंने शॉवर खोल कर नहाना ही शुरू ही किया था कि किसी ने मुझे पीछे से जोर से जकड़ लिया. मैंने मुड़कर देखा तो वो भाई था.

मैं बोली- भाई ये क्या हरकत है … तुम मेरे रूम में कैसे आ गए?

पर उसने बिना कोई जवाब दिए मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिए और मेरे होंठों को बेतहाशा चूसने लगा.

मैं जितना खुद को उसकी बांहों से दूर करने की कोशिश करती, वो मुझे उतना ही जोर से जकड़े जा रहा था.

कुछ देर तक तो मैं भी उसकी बांहों से निकलने की कोशिश करती रही. पर मेरी नाकाम कोशिश के बाद मैं खुद को ढीला छोड़ दिया.
उसकी वजह ये थी कि मुझे खुद भी अच्छा लगने लगा था.

अब वो भी किस करते करते मेरे मम्मों तक आ गया था.
अब उसका किस पॉइंट मेरी नाभि पर था. उसके बाद तो वो सीधा मेरी पैंटी निकालने लगा.

मैंने तब उसे मना किया और बोला- भाई, सब यहीं करना है?
वो बोला- तब कहां करना है?
मैं शर्मा कर चुप रह गयी.

मैंने धीरे से कहा- मुझे नहा तो लेने दो.
वो बोला- ठीक है, तुम नहा कर रूम में आओ, मुझे तुम्हें कुछ दिखाना है.

मैंने पूछा- क्या दिखाना है?
वो बोला- अपना हथियार.

मैंने पूछा- हथियार मतलब? क्या तुम हथियार रखते हो?

अब तक मुझे सेक्स समझ आने लगा था और मेरा मन भी अपने भाई के लंड से चुदवाने का होने लगा था.
मगर मैं उसके साथ थोड़ा मजाक कर रही थी.

उसने मेरा हाथ अपने लंड पर रखवा दिया और बोला- ये है हथियार … इससे खेलना चाहोगी?

मैंने कुछ नहीं कहा और अपने भाई के मोटे लंड को महसूस करती रही.

फिर मैंने अपने भाई को धक्का दिया और कहा- तुम अपने कमरे में जाओ … मैं अभी आती हूँ.

वो हंसता हुआ बाथरूम से निकल गया.

मैंने उसके लंड को महसूस करके अपनी चूत पर हाथ रगड़ना शुरू कर दिया.

मुझे अपनी चूत पर झांटें महसूस हुई तो ख्याल आया कि मुझे अपनी चूत साफ़ कर लेनी चाहिए क्योंकि मैंने भाई के लंड पर झांट नहीं महसूस की थी.
शायद उसने अपने लंड को भी साफ़ कर लिया था.

ये सोचते ही मैंने झट से अपनी चूत पर क्रीम लगाई और उसे साफ कर ली.

अब तक मैं भी लगभग हवस की आग की लपट में झुलस चुकी थी इसलिए बिना देरी किए मैं जल्दी जल्दी नहाकर बिना खाना खाए भाई के कमरे में पहुंच गयी.

वो सिर्फ अपने अंडरवियर में लेटा हुआ, अपनी छाती पर लैपटॉप रख कर पोर्न देख रहा था. उसने अब साउंड भी फुल कर रखा था.

मैं बोली- इसको बंद करो.
वो बोला- आओ देखो तो सही … क्या मस्त चुदाई चल रही है.

उसके मुँह से चुदाई शब्द सुनकर मैं शर्मा गई लेकिन मेरी चूत में आग लगी थी, तो मैं देखने लगी.

लैपटॉप की स्क्रीन पर लड़की की चूत में लड़का दो उंगली डाल कर जल्दी जल्दी आगे पीछे कर रहा था.

मुझे उसकी चूत में उंगली करने वाली बात याद आ गयी और अब मैं उत्तेजना के शिखर पर पहुंच चुकी थी.

मेरा हाथ खुद ब खुद भाई के लंड पर पहुंच गया था.
उसने भी लैपटॉप साइड में रखते हुए सीधा मेरे पैंटी में हाथ डाल दिया और जोर जोर से उंगली आगे पीछे करने लगा.

मैं पागल सी होने लगी थी.

उसने बोला- तू मेरा लंड चड्डी से बाहर निकाल ले और मुँह में ले ले.

मैं इतनी उत्तेजित हो चुकी थी कि मैंने बिना किसी संकोच के झट से भाई का चिकना लंड चड्डी से बाहर निकाल कर अपने मुँह में ले लिया.

उसका लंड इतना बड़ा था कि ढंग से मेरे मुँह में भी नहीं जा रहा था.

वो बोला- रुको.

फिर उसने 69 की पोजीशन बनाई और मेरे चेहरे को अपने लंड की तरफ करके मुँह में लेने को बोला.
वो खुद पलट कर लेट चुका था, तो वो मेरी चिकनी चूत चाटने लगा.

उसने कहा- अरे वाह … तुमने तो अपनी चूत चिकनी कर ली है.
मैं शर्मा गई और कुछ नहीं बोली.

अब तक मैं अपनी उत्तेजना के अंतिम चरण में पहुंच चुकी थी.

करीब 5 मिनट तक लंड और चूत चाटने के बाद उसने मेरे टॉप और ब्रा दोनों निकाल कर मुझे चित लेटा दिया.

फिर अपने लंड में तेल लगा कर मुझसे बोला- थोड़ा दर्द होगा, चीखना मत!
मैं तब तक नहीं समझी थी कि दर्द कैसा होगा.

उसने अपना मोटा लंड मेरी चूत के सामने लाकर सैट किया.
तब मेरे मन में ख्याल आया कि उंगली की तरह तरह इतना मोटा लंड तो कहीं अन्दर तो नहीं जाएगा.

मेरी तो सोच सोच कर हालत खराब थी.
सच में वो सब होने वाला भी था.
पर उस समय जो रहा था … या होने वाला था, उसमें बहुत ही आनन्द आ रहा था.
मैं सबके लिए तैयार थी.

तभी भाई ने एक जोरदार झटका मारा और अपना पूरा लंड अन्दर घुसा दिया.

मेरी तो समझो गांड फट गई. मेरा दिल हलक से बाहर आ गया हो, मेरी ऐसी हालत हो गई थी.

वो अपना लंड मेरी चूत में घुसा कर मेरे ऊपर ही लेट गया.

कुछ देर बाद जब मेरा दर्द कम हुआ तो समझ आया कि भाई इसी दर्द की बात कर रहा था.

मुझे सामान्य देख कर भाई मेरे ऊपर से कुछ उठा और अपने लंड को मेरी चूत में अन्दर बाहर करने लगा.

मैं बता नहीं सकती कि मुझे कितना आनन्द आ रहा था. मैं खुद भी अपनी कमर उठा उठा कर उसका पूरा लंड खुद लेने लगी थी.

इस तरह वो जोश में आ गया और जोर जोर से धक्के मारने लगा.
मैं भी पूरी उत्तेजना के साथ उसका साथ देने लगी.

‘आह … आउच …’ जैसी आवाजों से पूरा घर गूंज रहा था.
मेरी चूत भी पहली बार लंड पाकर बेइंतहा दर्द मिलने के बाद भी इतनी खुश थी कि कहना मुश्किल है.

भाई को तो ख्याल ही नहीं था कि वो अपनी सगी बहन के साथ जिस्मानी संबंध बना रहा है.
बस उसका हर धक्का पहले से जोरदार लगने लगा था.

कुछ देर बाद मुझे थकावट सी महसूस होने लगी और मेरी चूत पूरी गीली हो गई.
भाई के लंड की हर चोट पर थप थप की आवाज़ आ रही थी.

फिर दो मिनट बाद तो मुझे ऐसा महसूस हुआ कि किसी ने गर्म पानी मेरी चूत में छोड़ दिया हो.
उसी के साथ भाई भी मेरे से बिल्कुल चिपक गया और मैं भी.

कुछ मिनट बाद भाई ने मुझसे अलग होते हुए पूछा- कैसा लगा?
मैं शर्माती हुई बोली- भाई, बहुत अच्छा लगा.

इस तरह से मुझे सेक्स का मतलब उस दिन समझ आया.

हम दोनों भाई बहन ने रात में तीन बार सेक्स किया.

मैंने अपनी सेक्स कहानी में अपने नामों की कहीं भी चर्चा नहीं की. इसकी वजह आप लोग जानते हैं.
तो पाठको, कैसा लगा आपको यह बहन का सेक्सी प्यार?
मुझे मेल और कमेंट्स में बताएं.
[email protected]

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