मेरे गुस्सैल स्वभाव के वजह से मैं ज्यादा दिन तक कहीं पर भी नौकरी नहीं कर पाता था। कुछ दिनों पहले ही मैंने एक कंपनी ज्वाइन की थी लेकिन वहां से भी मुझे नौकरी छोड़नी पड़ी मेरे पापा और मम्मी इस बात से हमेशा ही परेशान रहते।
हम लोग एक मध्यमवर्गीय परिवार के रहने वाले हैं और मेरे पिताजी कुछ समय बाद ही अपनी नौकरी से रिटायर होने वाले हैं
पापा हमेशा ही इस चिंता में डूबे रहते कि क्या मैं अपने स्वभाव में कभी बदलाव कर पाऊंगा लेकिन मैं अपने स्वभाव को कभी बदल ही नहीं पाता। मैं पूरे दिन भर घर पर ही बैठा हुआ था और मम्मी मुझे कहने लगी कि रोहन बेटा आज तुम्हारा मूड कुछ ठीक नहीं लग रहा तो मैंने मम्मी को कहा नहीं मम्मी ऐसी कोई बात नहीं है।
मैं घर पर ही था क्योंकि मुझे थोड़ा अकेला महसूस हो रहा था इसलिए मैं घर पर ही था जब मैंने अपने दोस्त सुशील को फोन किया तो सुशील ने मुझे कहा रोहन तुम कहां पर हो।
मैंने सुशील को बताया कि मैंने जॉब छोड़ दी है सुशील ने मुझे कहा कि तुम मुझे अभी आकर मिलो मैं सुशील के घर पर चला गया और जब मैं सुशील के घर पहुंचा तो सुशील उस वक्त अपने ऑफिस से घर लौट ही रहा था।
सुशील ने मुझे कहा कि तुमने जॉब क्यों छोड़ी तो मैंने सुशील को कहा अब तुम्हें बताऊँ कि ऑफिस में मेरा मैनेजर के साथ झगड़ा हो गया था और जब मैनेजर के साथ मेरा झगड़ा हुआ तो मैंने ऑफिस से रिजाइन कर दिया। सुशील मुझे कहने लगा कि रोहन तुम कब तक ऐसे ही झगड़ते रहोगे अब तुम्हें अपनी जिम्मेदारियों को समझना चाहिए।
मैंने सुशील को कहा सुशील तुम बिल्कुल ठीक कह रहे हो लेकिन तुम जानते हो ना मैं कभी भी किसी की बात को बर्दाश नहीं कर पाता हूं इसलिए तो मैंने नौकरी से रिजाइन दे दिया। सुशील मुझे कहने लगा कि तुम मुझे अपना रिज्यूम दे देना मैं अपनी कंपनी में तुम्हारे लिए बात करता हूं मैंने सुशील को कहा मुझे लगता है कि अब मुझे नौकरी नहीं करनी चाहिए और अपने लिए कोई बिजनेस शुरू कर लेना चाहिए।
शुशील मुझे कहने लगा लेकिन उसके लिए तो तुम्हें पैसे की जरूरत पड़ेगी मैंने सुशील को कहा हां तुम ठीक कह रहे हो उसके लिए मुझे पैसों की जरूरत पड़ेगी और मैं सोच रहा हूं कि अपने मामा जी से इस बारे में बात करूं।
सुशील ने मुझे कहा ठीक है रोहन तुम देख लो जैसा तुम्हें ठीक लगता है यदि तुम्हें मेरी जरूरत हो तो तुम मुझे फोन कर लेना। मैंने सुशील को कहा ठीक है सुशील यदि मुझे तुम्हारी कोई भी जरूरत पड़ेगी तो मैं तुम्हें जरूर फोन करूँगा।
मैंने सुशील को कहा खैर तुम यह बातें छोड़ो और तुम यह बताओ कि तुम रचना से मिलते हो या उससे तुम्हारी मुलाकात नहीं हो पाती। सुशील मुझे कहने लगा रचना से मेरी कहां मुलाकात हो पाती है ऑफिस से मुझे घर आने में ही देर हो जाती है और कभी कबार रविवार के दिन मैं रचना से मिल लिया करता हूं रचना भी तो अपने ऑफिस में बिजी रहती है।
मैंने सुशील को कहा लेकिन तुम रचना से कब शादी कर रहे हो वह मुझे कहने लगा कि अभी तो मैंने इस बारे में कुछ भी नहीं सोचा है और तुम्हें तो पता है कि मैंने अभी मम्मी पापा से भी इस बारे में कोई बात नहीं की है। मैंने जब सुशील को कहा कि तुम्हें रचना के बारे में घर पर बात कर लेनी चाहिए तो सुशील मुझे कहने लगा कि हां मैं सोच रहा हूं कि मुझे घर पर इस बारे में बता देना चाहिए और जल्द ही मैं इस बारे में घर पर बता दूंगा। मैंने सुशील को कहा ठीक है
सुशीला अभी मैं चलता हूं तुमसे जल्द ही मुलाकात करूंगा तो सुशील कहने लगा कि ठीक है। मैं अपने घर लौट चुका था और मैंने अब मन बना लिया था कि मैं मामा जी से इस बारे में बात करूंगा मैं मामा जी से मिलने के लिए उनके घर पर गया तो मामा जी उस वक्त घर पर ही थे मामा जी मुझे कहने लगे कि रोहन बेटा तुम बिल्कुल सही वक्त पर घर आए हो मैं बस अभी निकलने ही वाला था। मैंने मामा जी से कहा मामा जी मुझे आपसे बहुत जरूरी बात करनी है
तो मामा जी कहने लगे कि हां रोहन बेटा कहो ना तुम्हें क्या बात करनी है। मैंने मामा जी को कहा मामा जी मैंने अपने ऑफिस से रिजाइन दे दिया है और मैं चाहता हूं कि आप मेरी मदद करें मामा जी मुझे कहने लगे कि देखो रोहन बेटा अभी तो मुझे देर हो रही है तुम मुझे कल मिलना।
मैंने मामा जी को कहा मामा जी ठीक है मैं आपके ऑफिस में ही आ जाऊंगा मामा जी कहने लगे कि ठीक है रोहन तुम मेरे ऑफिस में ही कल आ जाना कल हम लोग ऑफिस में बैठकर इस बारे में बात कर लेंगे।
मेरे मामा जी का मसाले का बड़ा कारोबार है और वह काफी वर्षों से यही काम कर रहे हैं मैं चाहता था कि मामाजी मेरी मदद करें। मैं अगले दिन मामा जी से मिलने के लिए उनके ऑफिस में चला गया मैं जब मामा जी से मिलने के लिए ऑफिस में गया तो मैंने मामाजी को कहा मामा जी मैं आपसे यह कहना चाहता हूं कि मुझे अपना कोई कारोबार शुरू करना है
मैं अब नौकरी नहीं करना चाहता हूं। मामा जी मुझे कहने लगे कि बेटा लेकिन तुम क्या शुरू करना चाहते हो तुम ने इस बारे में कुछ सोचा भी है या नहीं मैंने मामा जी को कहा मामा जी फिलहाल तो मैंने इस बारे में कुछ सोचा नहीं है।
मामा जी ने मुझे कहा कि बेटा तुम मेरे साथ मसाले का काम कर सकते हो यदि तुम चाहो तो, मैंने मामा जी को कहा लेकिन मामा जी मुझे तो उसके बारे में कोई भी जानकारी नहीं है। मामा जी कहने लगे कि बेटा धीरे-धीरे तुम सीख जाओगे और यदि तुम मेरे साथ काम करते हो तो मैं तुम्हारी मदद जरूर करूंगा। मामा जी की बात को मैं मान गया और मामा जी के साथ मैं काम करने लगा अभी तो मुझे काम के बारे में कुछ पता ही नहीं था धीरे-धीरे मुझे काम कि सारी बारीकियां समझ आने लगी।
मैंने मामा जी की मदद से अपनी ही एक कंपनी शुरू कर दी जिससे कि मुझे अच्छा खासा मुनाफा होने लगा मामा जी की वजह से ही यह सब हो पाया था और मुझे इस बात की खुशी थी कि मैं अब अपना काम कर रहा हूं। काफी समय बाद सुशील मुझे दिखा और उसने मुझे कहा कि उसकी सगाई रचना से होने वाली है।
सुशील की सगाई में मैं भी गया था और उसकी सगाई के दौरान मेरी मुलाकात रचना की कजिन बहन कविता से हुई जब मेरी मुलाकात कविता से हुई तो मुझे अच्छा लगा और कविता को भी बहुत अच्छा लगा। हम दोनों एक दूसरे से बातें करने लगे हम लोगों की कम ही मुलाकात होती थी परंतु फोन पर हम दोनों एक दूसरे से बात करते थे।
जब मैं कविता से मिलता हूं तो कविता के मेरे जीवन में आने से मेरे अंदर का गुस्सा भी अब शांत होने लगा था कविता मुझे हमेशा ही समझाया करती और कविता की बातों को मैं बड़े ध्यान से अपने जीवन में अमल किया करता। कविता मेरे लिए जैसे सब कुछ हो चुकी थी क्योंकि कविता की वजह से ही मेरे जीवन में बदलाव आया था मेरे जीवन में इतना बड़ा बदलाव कविता के आने से हुआ मैं और कविता कुछ ज्यादा ही नजदीक आने लगे हम दोनों एक दूसरे के बहुत नजदीक आ चुके थे।
कविता ने मुझे अपने घर पर बुलाया तो मैं कविता से मिलने के लिए कविता के घर पर चला गया हालांकि मुझे बहुत डर लग रहा था परंतु कविता ने कहा तुम्हें डरने की आवश्यकता नहीं है घर पर आज कोई भी नहीं है।
यह मौका शायद हम दोनों के लिए ही अच्छा था कविता भी यही चाहती थी मैं और कविता साथ में बैठ कर बात कर रहे थे जब हम दोनों एक दूसरे से बात कर रहे थे तो मेरी नजर कविता के ऊपर पड़ी और कविता ने मेरी तरफ देखते हुए कहा तुम मुझे ऐसे क्या देख रहे हो? मैंने कविता को बड़े प्यार से जवाब दिया और कहा कुछ भी तो नहीं बस तुम्हारी तरफ ऐसे ही मैं देख रहा हूं मुझे क्या मालूम था कविता इतनी ज्यादा मेरे लिए तड़प रही है।
कविता मेरे पास आकर बैठ गई मैंने कविता के हाथ को पकड़ा और धीरे-धीरे हम दोनों एक दूसरे के आगोश में चले गए। मैंने कविता के गुलाबी होठों को चूसना शुरू किया तो कविता को भी अच्छा लग रहा था और उसे बड़ा मजा आता। कविता पूरी तरीके से उत्तेजित हो चुकी थी जब मैंने कविता के होंठो से खून बाहर निकाल दिया तो कविता मुझे कहने लगी अब मैं बिल्कुल भी रह नहीं पाऊंगी।
मैने कविता के स्तन को चूसना शुरू कर दिया कविता के स्तनो को चूसकर मुझे बहुत अच्छा लगता कविता को भी बड़ा मजा आ रहा था। बहुत देर तक मैने कविता के स्तनों का रसपान किया मैंने कविता को कहा मुझे आज बहुत मजा आ रहा है।
कविता कहने लगी आज तुम्हारे साथ जिस प्रकार से मै सेक्स कर रही हू उससे तो मुझे भी मजा आ रहा है और कविता की चूत को मैंने बहुत देर तक चाटा कविता की चूत पूरे गिली हो गई थी।
मैंने भी अपने लंड को कविता के मुंह में डालते हुए कविता से कहा कि तुम मेरे लंड को चूसती रहो कविता ने मेरे लंड को बहुत देर तक सकिंग किया वह बिल्कुल भी रह नहीं पा रही थी मैंने कविता की चूत के अंदर अपने लंड को प्रवेश करवाया और उसे बड़ी तेज गति से मैंने धक्के मारने शुरू कर दिए। कविता को जब में धक्के मार रहा था तो वह लगातार तेजी से चिल्ला रही थी
वह मुझे कहती मुझे बहुत दर्द हो रहा है मैं उसे लगातार तेजी से धक्के मार रहा था जिस प्रकार से मैं कविता की चूत पर प्रहार कर रहा था उस से कविता की चूत से कुछ ज्यादा ही पानी बाहर निकल आया था। वह कहने लगी मै रह नहीं पाऊंगी मैंने कविता के दोनों पैरों को कंधों पर रखा और पूरी ताकत के साथ उसे धक्के देने शुरू किए तो कविता भी अब मचलने लगी थी और थोड़ी ही देर बाद मेरा वीर्य मेरे अंडकोषो से बाहर आकर कविता की चूत के अंदर गिर चुका था।