मुट्ठ मारो ससुर जी- 4

बहू ससुर सेक्स कहानी मेरे भतीजे की कामुक बीवी की गर्म चुदाई की है. वो मुझसे ऑनलाइन चैट में सेट हो गयी थी. मैंने उसके घर में उसे चोदकर मजा लिया.

कहानी के पिछले भाग
भतीजे की पत्नी की चूत चोद दी
में आपने पढ़ा कि

बहू अपनी उंगली को अपनी चूत के फांकों पर चलाते हुए बोली- चाचा, इसको क्या कहते हो?
“बुर … मेरी प्यारी बहू रानी!”

“हाँ चाचा बुर … इस बुर को चाटो, अपना लंड इस बुर में डाल दो, खूब चोदो।”

अब आगे बहू ससुर सेक्स कहानी:

वो कमरे से बाहर मटक कर चल दी।
पर मेरे दिमाग में और कुछ था।

उसके निकलते ही मैं बाहर टहलने के लिये गया और कोई करीब 10 मिनट बाद फिर वापिस लौटा.

देखा तो भाई-भाभी अभी भी अपने टेलीविजन सीरियल में लगे हैं।
अपने भाई की ओर देखते हुए बोला- अरे भाई मैं इतनी दूर से आया हूँ, जम्मू घूमने के लिये या घर पर बैठने के लिये?
भाई तुरन्त ही बोले- हाँ हाँ चलो, आज शाम को मेरे एक दोस्त के घर पार्टी है, सभी लोग वहीं चलते हैं।

मैं उनकी बात को काटते हुए बोला- मेरी जान पहचान तो है ही नहीं, वहां मैं अकेला बोर हो जाऊँगा।
“फिर?” भाई साहब बोले।

तभी भाभी बोली- ऐसा करो, लल्ला के साथ अंजलि को भेज दो और मैं और तुम चलते हैं।
अंजलि को बुलाते हुए भाभी बोली- अंजलि, तुम लल्ला को जरा घुमा दो।
वह मेरी तरफ देखकर बोली- जैसा आप कहें मम्मी!

फिर मुझसे पूछने लगी- चाचाजी, आप और चाय लेंगे?
“हाँ पी लूंगा।”

भाई और भाभी से पूछकर वो अपनी गांड मटकाते हुए रसोई में चली गयी।
मैं दो मिनट के लिये भाई-भाभी के पास बैठ गया।

ठीक दो मिनट बाद मैं उठा और अंजलि के पास रसोई में चला गया.

मुझे देखकर वह बोली- चाचा अगर आप बार-बार मेरे आस पास मंडराओगे तो मम्मी-पापा को शक हो जायेगा।
“क्या करूँ जानेमन … तेरे बिना मेरा मन ही नहीं मान रहा है।”

चाय की तरफ देखती हुयी बोली- अब क्या करना है?
“कुछ नहीं, बस तू अपनी साड़ी उठा ले तो तेरी गांड में उंगली डाल दूँ।”

मेरी तरफ आंख तरैती हुयी बोली- अरे वाह भोसड़ी वाले चाचा … तू तो बड़ा सीधा बच्चा बन गया।
“क्या हुआ?” मैं थोड़ा भोला बनते हुए बोला- हाँ चाचा, भोला मत बन। भोसड़ी के मेरी गांड में उंगली मुझसे पूछ कर करेगा।
कहकर प्लेटफार्म का सहारे झुक गयी।

मैंने उसकी साड़ी उठायी और एक उंगली गांड के अन्दर डालने की कोशिश करने लगा।

गांड टाईट थी लेकिन मैं उंगली डाले जा रहा था।
अंजलि हल्की सी चीखते हुए बोली- अब बस निकाल अपनी उंगली, नहीं तो मेरी चीख निकल जायेगी।

उंगली निकालकर उसको सुंघाते हुए मैं उंगली सूंघते हुए बाहर आ गया और अंजलि हँसती रही।
फिर हम सब मिलकर चाय पीने लगे।

चाय पीने के बाद जैसा तय हुआ था, सभी तैयार होने के लिये अपने अपने कमरे में चल दिये।

मैंने चुपचाप अपने कपड़े लिये और सबकी नजरें बचाते हुए अंजलि के कमरे में पहुँच गया।

वो मुझे देखते ही बोली- मैं जान रही थी चाचा, एक भी मौका नहीं छोड़ोगे।
“क्या करूँ जान … दिल ही नहीं मानता!”

“अब क्या घूमने जाने से पहले चोदना चाहते हो?”
“अरे नहीं यार, बस तुमको तैयार होते देखना है।”

“ओके, अपना आगे का भी प्लान बता दो?”
मैंने उसके गालों को चूमते हुए कहा- आह मेरी समझदार गुड़िया, यही अदा तो मेरी दिल की धड़कन बढ़ाती है।

“चलो अब बात न बनाओ, अब प्लान बताओ? और मेरी गांड में उंगली करना कैसा लगा? कुछ तो तारीफ करो मेरी जान!”
कहते हुए उसने अपने पूरे कपड़े उतार दिये.

फिर अलमारी से पैन्टी-ब्रा, साड़ी के साथ मैचिंग चीजें निकालकर उसने परफ्यूम निकाला और अपने अगल-बगल और चूत के ऊपर परफ्यूम का छिड़काव करके मेरे पास आयी।
तब तक मैंने भी अपने कपड़े उतार लिये थे।

मेरे बगल में परफ्यूम डालकर नीचे बैठी और मेरे मुरझाये हुए लंड से बोली- अल्ले अल्ले … मेरे चूत के दोस्त, मुँह मत लटकाओ, तेरी यार रात में तुझे मिलेगी।

फिर हम दोनों ने एक दूसरे को कपड़े पहनाये और भाई और भाभी उनके दोस्त के यहाँ चले गये।

हम लोग अलग से घूमने निकल गए.

मेरे लिए तो टाईम रूक सा गया था।
अंजलि भी बार-बार घड़ी की तरफ देख रही थी।

जैसे-तैसे हम लोग खा-पीकर वापिस घर आने लगे।
रास्ते में मैंने अंजलि से पूछा- दारू पियेगी?
“चाचा, जो कुछ भी तू पिलायेगा, मैं सब कुछ पी लूंगी।”

मैंने एक बीयर की दुकान से दो बीयर की बोतल ली और अंजलि के साथ घर आ गया।
भाई और भाभी अपने कमरे में जा चुके थे।

मैंने अंजलि के कमरे का रूख किया, वो मेरे इंतजार में ही बैठी थी, कूद कर आते हुए मुझसे चिपक गयी और मेरे चेहरे पर ताबड़तोड़ चुम्बनों की बारिश कर दी।

अंजलि इस समय बहुत ही खूबसूरत चुदासी गुड़िया लग रही थी।
उसको देखकर मेरे मुँह से निकला- अंजलि, तुम बहुत नमकीन लग रही हो।
वह मेरी तरफ देखते हुए बोली- तो भोसड़ी वाले चाचा सोच क्या रहे हो? बीयर लाये हो तो बीयर के साथ ही अपनी नमकीन अंजलि को चबा जाओ।

इतना कहने के बाद एक बार फिर अंजलि अपने पंजों के बल से उचकते हुए मेरे होंठों पर अपने मुलायम और गर्म सांसों वाली होंठों को चिपका दिया।
मेरे दोनों गाल उसकी हथेलियों के बीच में फंसे हुए थे.

फिर अंजलि ने मेरी शर्ट और बनियान को निकाल दिया और फिर होंठों को होंठों से टकरते हुए बोली- चाचा आओ और मेरे होंठ का रसास्वादन लो!
कहकर मेरे होंठों को कसकर काटने लगी और मेरे निप्पल को उंगलियों में फंसाकर मलने लगी।

“मेरे इन मस्त होंठों को चूसो, इनको काटो!”

फिर अंजलि ने मुझे पलंग पर धकेल दिया और मेरे बगल में लेटते हुए उसने बारी-बारी से अपने दोनों मम्मे को मेरे मुंह में डालते हुए बोली- चाचा, तुम्हारे मुँह में जाने के लिये मेरी दोनों चूचियां बहुत ही बेकरार हैं। इन मस्त, मस्त और स्पंजी चूचियों को जीभर कर पियो, इनको दबाओ, इनको काटो इनसे दूध निकालो, चाचा, मुझे अपनी रन्डी समझो, चाचा। कस-कस कर दबाओ, इसका दूध निकालो, चाचा।

मैंने उसकी चूची को चूसते हुए और उंगली को उसकी गांड में कुरेदते हुए कहा- मेरी प्यारी बहू, तू अपने आपको रन्डी मत बोल, मुझे अच्छा नहीं लगेगा, तू तो मेरी प्यारी बहू है।

अभी भी अंजलि अपने मम्मे को मेरे मुंह के अन्दर घुसेड़ रही थी और मेरे निप्पल को उंगलियों में फंसा कर नोच रही थी।

कुछ देर तक तो ऐसे ही चलता रहा, फिर मुझसे अलग होते हुए और मेरी पैन्ट को खोलते हुए बोली- चाचा मैं तुझे इतना गाली देती हूँ। तू भी मुझे खूब गाली दे, मुझे बुरा नहीं लगेगा।
“नहीं मेरी प्यारी बहू, तेरी गाली तो मेरे कानों में रस घोलती है, मेरा लंड तनतना जाता है।”

बातों बातों में अंजलि ने मेरी पैन्ट और चड्डी को मेरे जिस्म से अलग कर दिया और मेरे तने हुए लंड पर अंगूठा रगड़ने लगी.
उसके बाद उसने मेरे लंड को अपने मुंह में भर लिया और लॉलीपॉप की तरह चूसने लगी।

कभी वो अपने मुंह में लंड को भरती तो कभी मेरे अण्डकोष को मुंह में ले लेती, या फिर अपनी मुट्ठी में भरकर भींचने लगती।

तभी मैंने अपनी टांग को हवा में उठा लिया। अंजलि का मुंह ठीक मेरी गांड के सामने था।
अंजलि समझ चुकी थी कि अब उसे क्या करना है।

उसने अपनी जीभ को लपलपाया और मेरी गांड पर चलाने लगी।
एक सिरहन सी मेरे जिस्म में दौड़ गयी थी।

गांड को उसने अच्छे से गीला कर दिया था.
फिर मेरी टांगों के बीच से ही वो मेरे ऊपर आयी और मेरे निप्पल को चूसने लगी।

मेरा लंड इस समय बुरी तरह से तमतमाया हुआ था।
मैंने झट से अंजलि को अपनी बाँहो में कैद किया और लंड को पकड़ कर उसकी चूत के मुहाने पर ले जाकर अन्दर की तरफ धक्का दिया, जिसको उसकी गीली चूत ने तुरन्त ही अपने अन्दर लपक लिया।

थोड़ी देर धक्के पे धक्के मैं लगाता रहा।

कुछ देर के बाद एक बार फिर हम दोनों 69 की पोजिशन में आ गये।

मेरी जीभ उसकी गीली चूत और गांड पर अपना जलवा दिखा रही थी और वो मेरे गीले लंड को अपने मुंह में भरकर चूस रही थी।

दो तीन बार हम दोनों के बीच में ऐसे ही खेल चलता रहा।
कभी वो मेरे ऊपर रहती तो कभी मैं उसके ऊपर … वो अपने दांतों को पीसते हुए और फुसफुसाते हुए मेरा हौसला बढ़ाती- हाँ चाचा, ऐसे ही तेज-तेज धक्के मारकर अपनी बहू को चोद! और तेज धक्के मार!

लेकिन अब वक्त आ गया था, मेरा जिस्म अकड़ने लगा.
मैंने अपने लंड को चूत के बाहर खींचा और एक बार फिर 69 पोजिशन में होकर उसकी चूत से निकलते हुए रस को साफ कर रहा था और अंजलि मेरे रस को अपने मुंह से लेकर उसका रसास्वादन कर रही थी।

फिर मैं उससे अलग हो गया और थोड़ी देर तक दोनों ही अपने सांसों को काबू में करने का प्रयास कर रहे थे।

तब मेरे चूतड़ पर एक हल्की सी थपकी लगाते हुए अंजलि बोली- चाचा, मुत्ती आयी है, अपनी गोदी में ले चलो।

मैं खड़ा हुआ और उसको अपनी गोदी में ले लिया।

अंजलि ने अपनी बांहों के फंदे से मेरी पीठ जकड़ ली और पैरों के फंदे से मेरी कमर को!
हम दोनों बाथरूम के अन्दर आये।

मैं अंजलि को अपनी गोदी से उतारने लगा लेकिन तभी गर्म-गर्म धार मेरी जांघ और लंड पर पड़ने लगी।

अंजलि मेरे गोद में चढ़कर ही मूत रही थी।

इधर मेरा लंड भी अपनी धार छोड़ने के लिये तैयार था इसलिये लंड को पकड़कर उसकी दिशा मैंने अंजलि की गांड की तरफ करके धार को छोड़ने लगा.

वो उचकते हुए बोली- भोसड़ी वाले चाचा, माने नहीं न … बदला निकाल ही लिया।

फिर हम दोनों हंसते हुए वापिस कमरे में आ गये।

एक बार फिर हमारे चिपके हुए जिस्म बिस्तर पर थे और दोनों के हाथ चले जा रहे थे।

कमरे में थोड़ी सी खामोशी सी थी.
मैंने उस खामोशी को तोड़ते हुए कहा- अंजलि, कैसा लग रहा है?
“चाचा …” एक अलसाई सी आवाज में बोली- चूत चोदना तो कोई आपसे सीखे, तभी तो तुम इतने अच्छे लेखक हो।

कहकर उसने जीभ को बाहर किया और मेरी नाक चाटते हुए बोली- तुम्हारा भतीजा, ये सब कुछ नहीं करता था, मेरा बहुत मन करता था, मेरी बुर चाटे, मुझे रंडी बनाकर चोदे, लेकिन कुछ नहीं, बहुत हुआ तो चूचियों को मल देता था और चूत के अन्दर उंगली डालकर हल्का-फुल्का चोद देता था। बस एक लंड ही उसका था जो मेरी चूत का भोसड़ा बना देता। अगर तुम्हारे जैसा वो मजा देता तो तुम अपनी इस बहू को केवल सपने में ही चोद सकते थे।

हम्म! मैंने उसकी जांघ को पकड़कर उसका पैर अपने ऊपर कर लिया और मेरी चारों उंगलियाँ अंजलि के कूल्हों के बीच की दरार में ऐसे चल रही थी जैसे कोई गिटार बजाते समय अपनी उंगली चला रहा होता है।

अंजलि मुझसे कसकर चिपक गयी थी।
उसकी गर्म गर्म सांसें मेरे सीने से टकरा रही थी।

मैं उसके मुलायम-मुलायम कूल्हे को सहलाता, उसको दबाता या फिर दरारो के बीच अपनी उंगली चलाता।

मैं उसकी बुर और गांड पर अपनी जीभ चला रहा था, और अंजलि बोली जा रही थी- चाचा … बहुत अच्छे, इसी तरह चाटो, बहुत मजा आ रहा है।
वो हम्म … हम्म … हम्म … करे जा रही थी।

“चाचा, तूने एक दिन में अपनी बहू को चुदासी औरत बना दिया है. जब से तेरी बाँहो में आयी हूँ, हर वक्त मुझे तेरा लंड चाहिये। मेरे बुर की प्यास बुझाओ।”

इस बार अंजलि घोड़ी पोजिशन में आ गयी और अपने लहसुन को मसलते हुए अपनी उंगली को चाटते हुए मुझे इशारा करके दावत दे रही थी कि आओ भोसड़ी वाले चाचा मेरी बुर और गांड दोनों तुम्हारे सामने है जिस छेद को चाहो उस छेद में लंड डालकर सैर करो।

मैंने लंड को पकड़ा और उसकी चूत और गांड पर बारी-बारी से रगड़ने लगा.
उस समय का दृश्य बिल्कुल बी एफ की चुदाई की तरह का था.

उसकी उंगलियां अभी भी चूत की फांकों को सहला रही थी।

अपने सिर को अंजलि ने तकिया से सटा लिया और बोली- चाचा, अपना लंड मेरी चूत में पेलो, साली बहुत फड़फड़ा रही है।

मेरी प्यारी बहू की चूत काफी पनिया गयी थी इसलिये लंड आसानी से अंदर चला गया।

बहू ससुर सेक्स कहानी में आगे आपको और मजा मिलेगा.
पढ़ते रहें.
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बहू ससुर सेक्स कहानी का अगला भाग: मुट्ठ मारो ससुर जी- 5

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