मामी की गांड छूने के बाद खुद मेरे लंड पर चढ़ गयी

हैल्लो दोस्तों, में भी आप अभी की तरह बहुत सालों से सेक्सी कहानियों को पढ़कर उनके मज़े ले रहा हूँ जिसके बाद मेरा मन खुश हो जाता है।

दोस्तों ऐसे ही कहानियों को पढ़ते हुए एक बार मेरे मन में अपनी भी इस घटना को लिखकर आपकी सेवा में पहुँचाने का विचार बन गया और मैंने इसको लिखना शुरू किया।

दोस्तों यह कोई कहानी नहीं बल्कि मेरी एक सच्ची घटना है और जैसा जैसा मेरे साथ हुआ मैंने वैसा वैसा ही लिखकर आप सभी के सामने बड़ी मेहनत करके लाकर रख दिया है।

दोस्तों मेरा नाम जय है और में नई दिल्ली का रहने वाला हूँ। मेरी उम्र 23 साल है, में ज़्यादा गठीले बदन का नौजवान नहीं हूँ,

लेकिन मेरे लंड में बहुत दम है क्योंकि मुझे अपनी पहली चुदाई के समय ही यह बात सामने वाले से पता चला और उसने मुझे बताया कि इस तरह की मज़ेदार चुदाई मेरी इसके पहले कभी किसी ने नहीं की है आज में पहली बार तुम्हारे लंड की चुदाई की वजह से पूरी तरह संतुष्ट हो 

चुकी हूँ। दोस्तों यह घटना इसी साल होली के दिन की है, जब में होली के दिनों में अपनी नानी के घर था और वैसे में अपनी नानी के साथ ही रहता हूँ। दोस्तों में आप सभी को बता दूँ कि मैंने अपनी जिस मामी को चोदा, वो मेरी अपनी मामी नहीं है वो मेरे दूर के रिश्ते में मामी लगती है।

दोस्तों मेरी वो मामी एक प्राइवेट नौकरी करने वाली एक शादीशुदा औरत है, उनके बूब्स का आकार करीब 34-28-36 होगा और वो पतली दुबली थोड़े छोटे कद की सुंदर गोरी आकर्षक महिला है।

दोस्तों यह मेरी मामी भी मेरी नानी के पड़ोस वाले फ्लेट में ही रहती है और उनके पति एक बहुत बड़े व्यापारी है और वो हमेशा अपने काम की वजह से बाहर ही रहते थे और इस वजह से वो अपनी पत्नी की चुदाई ठीक तरह से नहीं कर रहे थे।

अब उनके एक बेटा है, जिसकी उम्र करीब 6 साल की होगी, मेरी नानी के घर में सिर्फ़ मेरी वो बूढ़ी नानी ही अकेली रहती है इसलिए में अभी कुछ समय से उनके पास ही रहता हूँ।

दोस्तों होली वाले दिन मेरी ज़्यादा और किसी से जान पहचान नहीं होने की वजह से में उस दिन भी अपने घर में ही था कि इस बीच सुबह के करीब 9 बजे मेरी वो मामी अपने दोनों हाथों में रंग लेकर मेरे पास आ गई। फिर उन्होंने जबरदस्ती मेरे पूरे चेहरे पर वो रंग लगा दिया और वो कुछ देर बाद वापस चली भी गई। फिर उसी समय मेरी भी होली खेलने की इच्छा हो गई और अब में भी मामी का पीछा करते हुए उनके फ्लेट में जा पहुंचा।

अब मैंने देखा कि मेरी वो मामी उस समय किचन में थी और उनको वहां पर देखकर मैंने मन ही मन में सोचा कि मुझे इससे अच्छा मौका नहीं मिल सकता, क्योंकि उस समय उनके घर में और कोई भी नहीं था। उस समय उनका बेटा भी होली खेलने अपने दोस्तों के साथ बाहर गया हुआ था।

फिर मैंने चुपके से मामी को पीछे से पकड़ा और में उनके चेहरे पर रंग लगाने लगा और उस खींचा-तानी में मुझे पता ही नहीं चला कि कब मेरा लंड उनकी जाँघो के बीच जा लगा, लेकिन मुझे उस समय एक अजीब सा एहसास होने लगा था।

फिर में उनके होंठो पर भी रंग लगाने लगा और उनके होंठो को दबाने भी लगा था, जिसकी वजह से अब मामी को भी मेरे साथ होली का असली मज़ा आने लगा था।

अब वो थोड़ा सा पीछे सरक गयी, जिसकी वजह से मेरा खड़ा लंड अब उनकी जाँघो के बीच चुभने लगा था और वो अब सीधा हो गयी और मेरे होंठो को सहलाने लगी।

अब मुझे भी उनके साथ यह सब करना अच्छा लगने लगा था और उन्हे अपने पति से दूर हुए करीब दस दिन हो गये थे, जिसकी वजह से वो भी मेरे यह सब करने की वजह से गरम होकर सेक्स की भूखी हो गयी।

फिर मैंने उन्हे सीधा करके अपने करीब किया और फिर बिना देर किए उनकी मेक्सी के ऊपर से अपने एक हाथ को अंदर डाल दिया।

अब मैंने उनकी ब्रा के ऊपर से ही छाती पर बहुत रंग लगा दिया और में उनके गोलमटोल बूब्स को सहलाने के साथ साथ ज़ोर ज़ोर से दबाने भी लगा था, लेकिन इसी बीच ही उनका बेटा आ गया।

अब में मामी से अलग हो गया, लेकिन मेरे साथ इतना सब करके अब उनकी वो बैचेनी बहुत बढ़ गयी थी, लेकिन उस एक मजबूरी की वजह से उन्हे अपने मन को काबू में करना पड़ा।

फिर मामी ने मुझे रात में दोबारा मिलने के लिए कहा और उन्होंने मुझसे कहा कि में आज देर रात को तुम्हारा इंतजार करके अपने घर का दरवाजा खुला ही रखूँगी, तुम करीब बारह बजे तक आ जाना और तब तक घर के सारे लोग सो जाएँगे।

अब में उनसे दूर होकर यह सभी बातें सुनकर खुश होता हुआ अपने घर चला आया, लेकिन मुझे अब रात होने का इंतजार था। फिर शाम को जब में उसके घर गया, तब मैंने सही मौका देखकर उनकी गांड में चिकोटी काटी और उनकी गांड में साड़ी के ऊपर से ही अपनी एक उंगली को भी डाल दिया, लेकिन मुझे उनकी तरफ से बिल्कुल भी विरोध नजर नहीं आया।

फिर कुछ देर उनके साथ हंसी मजाक करके में अपने घर वापस आ गया। में उनके साथ घर में बच्चो के होने की वजह से ज्यादा कुछ नहीं कर सका।

फिर रात के ठीक बारह बजे में उनके घर पहुँच गया। मैंने देखा कि उनके घर का दरवाजा पहले से ही मेरे लिए खुला हुआ था और वो बस मेरा ही इंतजार कर रही थी।

दोस्तों अंदर जाकर मैंने देखा कि वो उस समय साड़ी में थी और दिखने में बिल्कुल एक नयी दुल्हन की तरह तैयार थी, उनके लाल गुलाबी होंठ मुझे बड़े बेचैन कर रहे थे। फिर वो मुझे अपने साथ बेडरूम में लेकर गयी, वहां पर मामी ने लाल रंग का एक छोटा कम रौशनी का बल्ब जला रखा था। अब मुझसे भी बिल्कुल बर्दाश्त नहीं हो रहा था और जैसे ही मामी ने दरवाजे को अंदर से बंद किया, वैसे ही मैंने उन्हे अपनी गोद में उठा लिया।

अब में उनके रसभरे होंठो को चूसने लगा और उनकी लिपस्टिक का वो स्वाद मुझे अच्छे लगने लगा था और वो भी पूरी तरह से मेरा साथ देते हुए मेरे मुहं में अपनी जीभ को डालने लगी थी और मेरी जीभ को चूसने लगी थी।

अब तक में यह सब करते हुए बेड के नज़दीक आ चुका था और मैंने उनके होंठो को चूसते हुए उन्हे बेड पर लेटा दिया और फिर उनकी साड़ी के पल्लू को उस उभरी हुई छाती से हटा दिया और अब में जोश में आकर उनके बूब्स को दबाने लगा था।

दोस्तों मुझे ऐसा करने में बड़ा मस्त मज़ा आ रहा था और मामी ने उसी समय जोश में आकर खुद ही अपने हाथों से अपने ब्लाउज के एक एक हुक को खोल दिया।

अब मैंने देखा कि मामी ने अपने ब्लाउज के अंदर ब्रा नहीं पहनी थी। फिर ब्लाउज के खुलते ही उनके वो बड़े आकार के बूब्स मेरी आँखों के सामने आकर मुझे मदहोश करने लगे थे।

अब मैंने पागलों की तरह उनके दोनों बूब्स को ज़ोर ज़ोर से दबा दबाकर सेब की तरह एकदम लाल कर दिए और फिर सही मौका देखकर मैंने अब उनके पेटीकोट का नाड़ा खोल दिया और उनको मैंने अपने सामने बिल्कुल नंगा कर दिया।

अब उन्होंने मेरे निक्कर में अपने एक हाथ को डाल दिया और मुझे बिस्तर पर लेटने का इशारा किया। फिर में भी वैसा ही करने लगा और अब मामी ने बिना देर किए मेरे भी सारे कपड़े तुरंत ही उतार दिए और फिर वो मेरे लंड को अपने दोनों बूब्स के बीच में रखकर रगड़ने लगी थी और में उनके होंठो को दबा रहा था, साथ ही अपने एक हाथ से उनके बूब्स को सहला रहा था।

फिर वो कुछ देर बाद नीचे जाकर अब मेरे लंड को चूमने लगी थी मेरे लंड के आसपास के हिस्से को चूमकर सहलाकर मामी ने मेरे लंड को अब अपने मुहं में भरकर लोलीपोप की तरह चूसना शुरू किया।

वो किसी अनुभवी रंडी की तरह मेरे लंड को पूरा अंदर बाहर बीच बीच में टोपे पर अपनी जीभ को भी घुमाकर चूस रही थी।

दोस्तों यह सब करीब दस मिनट तक करने के बाद में झड़ गया और मैंने उनके मुहं में ही अपना सारा वीर्य निकाल दिया। अब मामी ने मेरे लंड के टोपे को आईसक्रीम की तरह मेरे लंड को अपनी जीभ से चाट चाटकर साफ कर दिया और फिर अपनी चूत को मेरे मुहं के सामने रख दिया।

अब मेरी बारी थी अपना कुछ कमाल दिखाने की। फिर मैंने भी उनकी गीली जोश से भरी चूत के होंठो पर अपना मुहं लगाया और में अपनी जीभ से ही कुछ देर चूत को चूसने के बाद चुदाई करने लगा था।

फिर कुछ देर बाद मामी ने भी अपना पानी मेरे मुहं में निकाल दिया और अब में उनके बूब्स से खेलने लगा था और वो मुझे अपनी बड़ी ही मादक नज़रों से देख रही थी। फिर मामी ने मेरे लंड को अपने मुलायम हाथ से पकड़ा और इशारा करके मेरे लंड को अपनी चूत के अंदर डालने के लिए कहा।

फिर में तुरंत खुश होकर वो काम करने के लिए तैयार हो गया, लेकिन जब में अपने लंड को उनकी चूत के अंदर डालने लगा तब मुझे देखकर महसूस हुआ कि मेरा लंड का टोपा उनकी चूत के छेद की अपेक्षा बहुत मोटा था और इसलिए लंड को अंदर डालने से उनको दर्द बड़ा तेज हो रहा था।

अब में उनके दर्द का ध्यान रखते हुए धीरे धीरे उनकी चूत में अपने लंड को डालने लगा था, लेकिन अब भी वो दर्द से करहाने लगी। फिर करीब आठ दस झटके देने के बाद मेरा पूरा लंड उनकी चूत में जा चुका था और उसके बाद मैंने उन्हे करीब बीस मिनट तक कभी तेज तो कभी हल्के धक्के देकर चोदा। 

दोस्तों कुछ देर बाद मामी ने भी अपना दर्द कम होते ही अपने कूल्हों को मेरे हर एक धक्के के साथ उठाकर मेरा पूरा पूरा साथ दिया। फिर कुछ देर धक्के देने के बाद मैंने झड़ते हुए उनकी चूत को पूरा अपने वीर्य से भर दिया और में कुछ देर उनकी गीली चिकनी चूत के अपने लंड को अंदर बाहर करता रहा।

अब मैंने उनकी गांड में अपनी एक उंगली को डाल दिया और में अपने दूसरे हाथ से उनकी चूत में खुजली करने लगा। अब वो मेरे ऊपर लेट गयी और मुझे पागल कुतिया की तरह नोचने लगी थी और खुद अपनी चूत में मेरे लंड को डालकर ज़ोर ज़ोर से झटके देने लगी थी।

अब पूरे कमरे में चुदाई की आवाज़ गूंजने लगी थी और अब वो सिसकियाँ लेते हुए मुझसे कहने लगी, वाह मेरी जान आज पहली बार मुझे चुदाई का असली मज़ा मिला है।

फिर वो सिसकियाँ लेते हुए मेरे लंड पर ऊपर नीचे होकर मुझसे कहने लगी ऊफ्फ्फ्फ़ वाह तूने तो मेरा मन आज खुश करके मेरा दिल जीत लिया वाह रे मज़ा आ गया तूने तेरे इस दमदार लंड को अब तक कहाँ छुपा रखा था? तू मुझे पहले क्यों नहीं मिला। दोस्तों वो ऐसे ही बड़बड़ाती रही और जब तक हम दोनों का जोश ठंडा नहीं पड़ा वो तब तक मेरे लंड की सवारी करती ही रही।

दोस्तों फिर उस रात में हम दोनों ने चार बार चुदाई के मस्त मज़े लिए और सुबह होने से पहले में कपड़े पहनकर अपने कमरे में वापस चला गया और सो गया।

दोस्तों उस पहली रात भर चुदाई के मज़े लेने के बाद अब जब भी हम दोनों को कोई भी अच्छा मौका मिलता है तो हम एक दूसरे के साथ खुश होकर यह काम ज़रूर करते है, कभी वो मेरे ऊपर तो कभी में उनके नीचे लेटकर बड़ा खुश होकर उनकी प्यासी चूत को चोदकर उसको पूरी तरह से संतुष्ट करता हूँ।

दोस्तों यह थी मेरी वो सच्ची घटना मुझे उम्मीद है सभी पढ़ने वालो को यह जरुर पसंद आएगी ।।

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