बहन की सहेली की सील तोड़ी

स्कूल गर्ल सेक्स कहानी में पढ़ें कि कैसे मेरी बहन की सहेली की अनचुदी चूत छोड़ी. पढ़ाई के लिए एक दिन मेरे घर आयी. बहन घर में नहीं थी और …

दोस्तो! मेरा नाम आर्यन है। मैं पंजाब में रहता हूं और मेरे साथ मेरे मम्मी पापा और एक बहन रहती है। मेरी बहन का नाम शिखा (बदला हुआ) है।
हम लोग यहां एक अपार्टमेंट में रहते हैं। हमारा रूम दूसरे फ्लोर पर है।

मैं आज एक सच्ची स्कूल गर्ल सेक्स कहानी सुनाने जा रहा हूं जो मेरे साथ ही हुई थी.
ये बात पिछले साल जनवरी के महीने की है. तब मैं बीस साल का था.

मॉम और डैड को किसी जरूरी काम से गांव जाना पड़ गया। मैं और मेरी बहन नहीं जा पाए क्योंकि अगले महीने बोर्ड एग्जाम होने वाले थे।
मेरी बहन की एक सहेली थी जिसका नाम रानी था.

वो दोनों एक साथ ही पढ़ती थीं और एक ही क्लास बारहवीं में थी। रानी मेरे घर पर अक्सर आया करती थी. मेरी बहन उसको पढ़ाई में मदद करती थी.

मैं भी कॉलेज के प्रथम वर्ष में ही था क्योंकि मेरी उम्र और मेरी बहन की उम्र में साल भर का ही फर्क था. इसलिए मेरी बहन का एडमिशन घरवालों ने जल्दी ही करवा दिया था और वो मेरे पीछे ही बाहरवीं में आ गयी थी.

रानी मुझसे साल भर छोटी थी क्योंकि वो मेरी बहन की उम्र की ही थी. उससे मेरी ज्यादा बात नहीं होती थी लेकिन कभी कभी पढाई के किसी टॉपिक को लेकर बहसबाजी जरूर हो जाती थी.

उस दिन जब मेरे माता पिता घर पर नहीं थे तो रानी दिन में 3 बजे के करीब मेरे घर आई. उस वक्त घर में मैं ही था. मेरी बहन शिखा पड़ोस वाली आंटी के घर गयी हुई थी.

रानी ने आकर पूछा- शिखा कहां है?
मैं बोला- पड़ोस वाले घर में गयी है. दस-पंद्रह मिनट बाद आ जायेगी.
वो बोली- ठीक है, मैं उसका इंतजार कर लेती हूं. तू जरा फोन लगा दे उसे.

वो मेरे पास आकर बैठ गयी.

मैंने शिखा को फोन किया तो उसका कॉल नहीं लगा क्योंकि नेटवर्क नहीं था.

फिर रानी चुपचाप बैठ गयी. मैं अपने फोन में गेम खेलने लगा.

रानी सरक कर मेरे करीब आ गयी और फोन में देखने लगी.
वो बोली- मुझे भी खेलने दे ना थोड़ी देर, मैं अपना फोन घर पर रख आई हूं.

मैंने उसको फोन पकड़ा दिया और वो गेम खेलने लगी. वो एकदम से मेरे बदन से लगभग सटकर बैठी थी. मेरी कोहनी उसकी चूचियों से टच हो रही थी.

जब मैंने इस पर ध्यान दिया तो मेरे अंदर हवस जाग गयी और उसके लिए सेक्स के ख्याल आने लगे.
मैंने अब जानबूझकर रानी की चूची छूने की कोशिश करना शुरू कर दिया.

उसकी चूची का स्पर्श बार बार होने से मेरा लंड खड़ा हो गया था. अब मेरे अंदर कंट्रोल करने की क्षमता कम होती जा रही थी.
पहली बार किसी लड़की की चूची को हाथ लगा था.

जब मुझसे रहा न गया तो मैंने उसकी चूची को हाथ में पकड़ कर भींच दिया.
वो सकपका गयी और एकदम से उसने मेरी ओर देखा; फिर मेरा हाथ झटक दिया और फोन सोफे पर पटक कर भाग गयी.

मैंने सोचा कि वो गुस्से में भागी है. न जाने अब किसे बतायेगी?
मेरी गांड फट गयी.

मैं खड़े लंड के साथ बालकनी की ओर दौड़ा. नीचे देखा तो रानी अपनी सहेलियों के साथ पार्क में बैठी थी जो हमारे घर के सामने ही था.

उसने भी मुझे देख लिया और देखकर नजर घुमा ली.
मुझे लगा कि अब तो ये फंसवायेगी.

मगर फिर उसने कुछ देर बाद मुझसे टाइम पूछा.
मैंने कहा- 3.30 हो गये हैं.
वो बोली- शिखा आ गयी या नहीं?

मैंने कहा- नहीं, अभी तो नहीं आयी है.
वो बोली- ठीक है, आये तो उसे कहना कि मुझे फोन कर ले.
मैंने कहा- ठीक है, मैं बता दूंगा उसे.

अब जाकर मेरी सांस में सांस आयी. वो नॉर्मल बात ही कर रही थी. मैं अब निश्चिंत हो गया क्योंकि अगर वो शिखा को बता देती तो शायद बात मेरे घरवालों तक भी पहुंच जाती.

फिर शाम के 7 बजे मुझे वो दोबारा से नीचे दिखी.

मैं दौड़कर नीचे गया. वो अकेली खड़ी थी और किसी से फोन पर बात कर रही थी.
मेरे जाते ही उसने फोन काट दिया.

मैं बोला- कल तू स्कूल मत जाना.
वो बोली- क्यूं, कल क्या है?
मैंने कहा- मुझे कुछ काम है तेरे से. प्लीज तू कल मत जाना.
वो बोली- नहीं, कल तो मैं जाऊंगी. बहुत जरूरी क्लास है.

फिर मुझे लगा कि इस पर ज्यादा जोर देना ठीक नहीं है, वरना कहीं ये शिखा को न बता दे.
फिर मैंने उससे दो चार यहां वहां की बातें कीं और फिर वहां से आ गया.

रानी से बातें करते हुए भी मेरी नजर उसकी चूचियों पर ही जा रही थी.
वो भी शायद समझ चुकी थी कि मैं क्या चाहता हूं मगर उसने अपने चेहरे पर ऐसा कोई भाव जाहिर नहीं होने दिया.

सुबह 7 बजे मैं उठा तो मेरी बहन अपना लंच पैक कर रही थी।
लगभग 8 बजे बहन स्कूल चली गई। मेरे कॉलेज की 3 दिन की छुट्टी थी। सुबह के 10 बज रहे थे. मैं तब तक ब्रेकफास्ट कर चुका था और तभी मेरे घर के दरवाजे पर खटखटाने की आवाज हुई.

मैंने दरवाजा खोला तो सामने रानी थी. उसके हाथ में एक किताब थी.
वो बोली- शिखा कहां है?
मैंने कहा- वो तो स्कूल गई है।
उसने कहा- मैं तो स्कूल के कुछ काम से आई थी.

अब मैं तो समझ गया था कि शिखा तो एक बहाना है उसके लिये; असली मकसद तो कुछ और ही था।
फिर वो बोली- ठीक है, तो मैं कुछ देर गेम खेल लेती हूं. तुम्हारा फोन कहां है, मुझे गेम खेलना है थोड़ी देर।

मैंने उसको बेड की तरफ इशारा किया और वो अंदर आ गई। मैंने भी दरवाजा अंदर से लॉक कर लिया और बेड पर आ गया।

हम दोनों रजाई में घुसकर गेम खेलने लगे.

रानी के साथ एक ही बेड पर एक ही कम्बल में लेटे रहने के ख्याल से ही मेरे अंदर सेक्स भर गया.
मैंने उसके पैरों को अपने पैरों से छूना शुरू कर दिया.
उसने कुछ नहीं कहा.

फिर मैंने उसके पैरों को अपने पैरों से रगड़ना शुरू कर दिया. अब बदले में वो भी मेरे पैरों पर अपने पैर रगड़ने लगी.
मैंने उसकी जांघ पर हाथ रख लिया और सहलाने लगा.
वो तब भी कुछ नहीं बोली.

2-4 मिनट तक मैं उसके बदन को छेड़ता रहा. मेरा लंड फटने को हो रहा था.
फिर मैंने उसके हाथ से फोन छीन कर साइड किया और उसको अपने पास खींच लिया.

उसकी चूचियां मेरी छाती से आ सटीं और मैंने उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिये.
वो भी जैसे इसी इंतजार में बैठी थी. मेरे होंठ लगते ही उसकी आंखें भी बंद हो गयीं और वो मजे से किस करने लगी.

होंठों को चूसते हुए मैंने अपना एक हाथ उसकी टीशर्ट में डाल दिया और उसके बूब्स दबाने लगा।
क्या मस्त बूब्स थे यार … रानी के।

थोड़ी देर बाद हम दोनों पूरा गर्म हो चुके थे.
अब मैंने उसके कपड़े उतारने शुरू किये. उसने एक पीले रंग का टॉप पहना था. उसके उतारते ही उसकी अमरूद जैसी चूचियां समीज में दिख आईं.

वो अपने हाथों से समीज को पकड़ कर चूचियां छुपाने लगी तो मैंने उसको नीचे पटका और उसके होंठों पर हमला बोल दिया.

उसके होंठों को चूसते हुए उसके पूरे बदन को ऊपर से नीचे तक सहला डाला.
फिर मैंने लेटे हुए ही उसका समीज निकाल दिया. उसकी अमरूद जैसी चूची अब नंगी हो गयीं.

मैंने उसकी चूचियों को हाथों में भरा और जोर जोर से भींचने लगा.
वो सिसकारने लगी.
मुझे इतना मजा आ रहा था कि मन करने लगा कि उसकी चूचियों को भींच भींच कर उसे रुला दूं.

मेरे ज्यादा जोर से भींचने पर वो करहाने लगी और मुझे हटाने लगी.
फिर मैंने हाथों को चूचियों से हटा लिया और मुंह में लेकर बारी बारी से एक एक चूची को पीने लगा.

थोड़ी देर में उसके निप्पल कड़क होकर बड़े बड़े से लगने लगे.
उसके अंदर चुदास जाग गयी थी.

फिर मैंने उसकी लैगिंग के ऊपर से ही उसकी चूत को सहलाया तो उसने हाथ हटा दिया मेरा.
मैंने उसके दोनों हाथों के बेड पर दबाया और उसकी लैगिंग को दांतों से खींच डाला.

उसकी चूत के ऊपर वाले हिस्से के रोएं दिख रहे थे. फिर मैंने एक हाथ से उसकी लैगिंग निकाल दी.
अब उसकी पैंटी मेरे सामने थी. उसकी टांगों को पूरी खोलने के लिए मैंने लैगिंग को पूरी ही निकलवा दिया.

रानी की छोटी सी चूत उसकी जांघों के बीच में पैंटी के अंदर छुपी हुई थी. मुझे ये नजारा देखकर मुंह में पानी आ रहा था. कमसिन चूत मिलने वाली थी.

फिर मैंने उसकी पैंटी उतारनी चाही तो उसने मेरा हाथ पकड़ लिया और एक हाथ से अपना चेहरा ढक लिया.
मैंने उसका हाथ हटाया और उसकी पैंटी के अंदर झांक कर चूत के दर्शन किये.

मैं तो चूत के दर्शन करके धन्य हो गया. फिर तो मुझे पूरा जोश आ गया. मैंने उसके हाथों को पकड़ा और उसकी पैंटी खींच कर उसे पूरी नंगी कर दिया.

अब मैंने भी अपने कपड़े फटाक से उतार फेंके और नंगा होकर उसके ऊपर जा कूदा.

उसका मखमली गोरा बदन जब मेरे बदन से स्पर्श हुआ तो मैं पागल सा हो गया.
बिल्कुल मलाई जैसा जिस्म था रानी का.

हम दोनों ने सारे कपड़े निकाल दिए और एक दूसरे को चूसने लगे।
मेरा लन्ड रानी की चूत में घुसने के लिए बेकरार हो रहा था और वो भी शायद इतनी ही बेकरार थी.

फिर बस, देर क्या थी … मैंने उसकी चूत को चूमा चाटा और प्यार दिया.
वो मस्त हो गयी और अब खुद चुदने के लिए कहने लगी.

मैं भी उसकी प्यास समझ सकता था और उसके चेहरे पर पढ़ भी सकता था.
मैंने थोड़ा सा तेल उसकी चूत पर डाला और लंड को उसकी चूत पर रखा।

उसकी आंखें बन्द थीं. मैंने एक बार में थोड़ा सा लंड डाला जिससे उसकी आह्ह निकल गयी मगर लंड अंदर नहीं घुसा.
वो दर्द भरी आह … आह … आह … की आवाज निकालने लगी।

मैं थोड़ा सा रुका और उसके होंठ चूसने लगा।
जब वो थोड़ी देर बाद शांत हुई तो मैंने ज़ोर से एक धक्का लगा कर पूरा लन्ड उसकी चूत में घुसा दिया।

उसकी गर्म गर्म चूत में लंड गया तो मुझे मजा आ गया. मगर उसकी चूत में बहुत ज्यादा दर्द हो गया और वो रोने लगी.
मैंने उसके होंठों को चूसा और उसकी चूचियों को सहलाया.
कुछ देर के बाद वो शांत हो गयी.

अब मैंने धीरे धीरे लंड को चूत में चलाना शुरू किया. उसको मजा सा आने लगा और फिर तो वो पूरी तरह मेरा साथ देने लगी.
उसकी गर्म गर्म चूत मेरे लन्ड को अपने अंदर लेते जा रही थी।

पूरे रूम में उसकी सिसकारियां गूंज रही थीं और फच फच की आवाज आ रही थी.
अब मुझे चुदाई का परम आनंद मिलने लगा था. रानी की टांगें मेरी कमर पर अपने आप आकर लिपट गयी थीं.

हम दोनों अब एक दूसरे के होंठों को चूसते हुए चुदाई में पूरी तरह से डूब चुके थे.
मुझे तो यकीन नहीं हो रहा था कि मैं रानी जैसी कच्ची कली स्कूल गर्ल की चूत मार रहा हूं.
बहुत मजा आ रहा था दोस्तो!

मैं तो उसकी चूचियां दबा दबाकर चोद रहा था उसको. मुझे नहीं पता था कि बहन की सहेली स्कूल गर्ल सेक्स इतना सुख मिल जायेगा.
चुदाई का मजा सबसे आनंद देने वाला होता है.

10 मिनट के बाद मैं उसकी चूत में झड़ गया और उसके बूब्स के निप्पल अपने मुंह में भर कर उसके ऊपर की लेटा रहा।
मेरा लन्ड सिकुड़ कर फिसलता हुआ उसकी चूत में से बाहर निकाल गया।

मैं उसके ऊपर पड़े पड़े उसके बालों को सहला रहा था.
वो मेरी आंखों में देख रही थी।

मैंने पूछा- तो कैसा लगा गेम खेल कर?
वो बोली- एक बार और खेलने का मन कर रहा है.

फिर हम दोनों के होंठ दोबारा से मिल गये. हम दोनों एक दूसरे को चूसते रहे.

10 मिनट के बाद मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया।
मैंने रानी से बोला- रानी एक बार चूसोगी?
उसने कहा- एक शर्त पर!

मैंने पूछा- क्या?
वो बोली- मेरी चूत को जीभ से चोदने का मजा दे दो मुझे.
मैं मुस्करा दिया.

फिर हम दोनों 69 की पोजिशन में आ गए. हम एक दूसरे के चूत और लंड को चूसने और खाने लगे.

वो पागल हो गयी और मैं भी बेकाबू हो गया.

फिर 5 मिनट के बाद मैंने उसको अपनी गोद में बैठाया और उसकी चूत में लंड घुसा दिया.

उसको गोद में बिठाकर मैं लंड पर उछालते हुए चोदने लगा. दिल तो कर रहा था कि इसी तरह लगे रहें दोनों।
अब मैंने अपनी चोदने की स्पीड बढ़ा दी और थोड़ी देर में ही रानी झड़ गयी.

वो लंबी लंबी सांसें लेने लगी लेकिन मैं नहीं रुका.
मैं उसको चोदता रहा. वो उछलती रही और उसकी चूचियां भी उछलती रहीं जिनको मैं बीच बीच में मुंह में लेकर पीने लगता था.

पांच मिनट के बाद मैं भी उसकी चूत में झड़ गया।
फिर हम दोनों ने कपड़े पहने और वो मेरे गले से लिपट गयी.

मैंने उसको बांहों में भरा और उसको किस किया.
फिर वो अपने घर चली गई।

दोस्तो, वो 3 दिन तक फिर स्कूल नहीं गई और रोज़ मेरे से चुदाई करवाने आती रही।
जब तक मां पापा नहीं लौटे मैंने उसकी चूत खूब मारी.
अब भी हमारा रिलेशन चल रहा है और हम दोनों बहुत खुश हैं.

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