सास दामाद सेक्स कहानी में पढ़ें कि मैंने अपनी ससुराल में अपनी पत्नी की मौसी की चूत को चाट कर उसकी जमकर चुदाई की, गांड भी मारी.
दोस्तो, मेरी चूत चुदाई की कहानी में आपका पुन: स्वागत है.
सास दामाद सेक्स कहानी के पिछले भाग
मौसी सास के साथ सेक्स भरी मस्ती
में अब तक आपने पढ़ा था कि मेरी मौसी सास सुनीता मुझसे चुदने को राजी हो गई थी. रात को मैं उसे चोदने के लिए उसके कमरे के बाहर आ गया.
>रात के एक बजे मैं उठा बाहर आया … सब सुनसान था.
मैं मौसी सास सुनीता के रूम की ओर निकल पड़ा.
दरवाजा लगा हुआ था, मैंने थोड़ा धकेला तो खुलता चला गया.
सुनीता मौसी लाईट चालू रखकर सो गई थी.
उसने नाइटी पहन रखी थी और घोड़े बेचकर सो रही थी.
मैं अपनी मौसी सास की मदमस्त जवानी को देख कर लंड सहलाने लगा.<
अब आगे सास दामाद सेक्स कहानी:
मैंने इधर उधर देखा और कमरे में जाकर उसकी नाइटी को ऊपर उठाकर उसके पैरों को फैलाया और बीच में झुक गया.
मैंने गौर से उसकी चूत को देखा, उसकी चूत तो बहुत ही छोटी सी लग रही थी.
मैंने अपनी जीभ से उसकी चूत को चाटना शुरू कर दिया.
पहले तो वो थोड़ी कसमसाई, पर उठी नहीं.
मैं भी मजा ले लेकर उसकी चूत को चाट रहा था, दाना हिला हिला कर चूत चाटता रहा.
फिर मैंने जीभ की नोक को चूत के अन्दर घुसा दिया.
त सुनीता थरथराती हुई जाग गयी.
वो मुझे चूत चाटता देख कर एकदम से डर गयी.
उसने दरवाजे की ओर देखा, तो वो खुला था और जमाई उसकी चूत चाट रहा था.
वो ‘आह आह …’ करती हुई बोली- दामाद जी, ये आप क्या कर रहे हो … मैं तुम्हारी सास लगती हूँ. मैं ये सब तुम्हारे साथ नहीं कर सकती. आह छोड़ो … कोई देख लेगा जमाई जी आंह … ये क्या कर दिया … आह … मैं पिघल रही हूँ.
ये कह कर वो अकड़ उठी और झड़ने लगी.
उसकी चूत से कमाल का फव्वारा निकला और सीधे मेरे मुँह पर आ लगा.
मैं अचकचा गया और वो शर्माने लगी.
पर मैं चूत चाटता ही रहा.
कुछ ही पलों बाद वो फिर से कमर हिलाने लगी. उसके मुँह से मादक आवाज निकलने लगी- आंह छोड़ो दामाद जी. क्या कर रहे हो.
वो छोड़ने की कह रही थी, पर मेरा सर पकड़ कर अपने चूत पर दबा रही थी.
मैं मस्ती से उसकी चूत चाटे जा रहा था. जीभ की करामात उसकी चूत में जलवा दिखाए जा रही थी.
मैं उसकी चूत का दाना हिला हिला कर उसे चूस रहा था … चूत की दोनों फांकों को चूस चूस कर खींच रहा था, जीभ और अन्दर डाल कर उसे गोल गोल घुमा रहा था.
वो फिर से गर्मा गई और ज्यादा देर टिक ना सकी, वो दुबारा से झड़ने लगी.
अब मैं भी उठ कर खड़ा हो गया और अपना लंड उसके मुँह में देने लगा.
वो ना ना कह रही थी, पर मैंने उसकी गर्दन पकड़ कर लंड को उसके मुँह में भर दिया.
मुँह में लंड गया तो मैं उसका मुँह चोदने लगा. मैं लंड को उसके गले तक घुसेड़ रहा था.
थोड़ी देर लंड चुसवाने के बाद मैं उसके बदन पर गिर गया और दोनों स्तनों को बारी बारी से चूसने लगा.
सुनीता पागल हो चली थी.
वो बोल पड़ी- आह जमाई जी आह … तुमने ये क्या कर दिया … अब जल्दी से मेरे बदन की आग को शांत करो जमाई जी!
मैंने भी नीचे से उसके पैरों को उठाकर अपने कंधे पर ले लिए, लंड को चूत पर रगड़ने लगा.
सुनीता और गर्म हो गयी.
वो मिन्नतें करने लगी- जमाई जी जल्दी से घुसा दो अपना हथियार … मेरे अन्दर पेल दो पूरा!
उसकी आवाजों से मेरी बीवी यानि मेरी ठकुराईन की नींद खुल गई और मुझे बगल में न पाकर वो बाहर आ गयी.
उसे लगा मैं उसकी मां को चोद रहा होऊंगा तो वो मां के कमरे के पास आयी.
उसने दरवाजा थोड़ा धकेल कर देखा तो उसकी मां तो सो रही थी.
सीन देख कर वो सोच में पड़ गयी और दरवाजा बंद करके जाने लगी.
बगल में उसकी मौसी सुनीता के कमरे का दरवाजा खुला था और लाईट भी जल रही थी.
अन्दर से कुछ रह रह कर आवाजें भी आ रही थीं तो ठकुराईन मौसी के कमरे के पास आ पहुंची.
उसका दिल जोर जोर से धड़क रहा था.
उसने अन्दर झांक कर देखा तो वो दंग रह गयी.
हमारा चुदाई का कार्यक्रम चल रहा था. सुनीता और मैं दोनों नंगे थे. सुनीता के पैर मेरे गले में थे और मेरा लंड उसकी चूत पर रगड़ मार रहा था.
ये देख कर पहले तो ठकुराईन गुस्सा हुई पर बाद में अन्दर का नजारा देख देख कर वो भी गर्म हो गयी.
वो अपने हाथ से नाईटी के ऊपर से अपनी चूत को सहलाने लगी.
दरवाजा बंद करने की आवाज से ससुर भी जाग गए थे.
उन्हें लगा कि मैं कमरे में आया होऊंगा इसलिए वो भी बाहर आ गए.
अपनी बेटी को दरवाजे के पास खड़ा देख कर वो भी अन्दर देखने लगे.
ससुर जी भी अन्दर का नजारा देखते हुए अपनी बेटी के पीछे खड़े हो गए.
ससुर जी भी कहां रुकने वाले थे. चुदाई देख कर उनका लंड खड़ा हो गया और उन्होंने अपने हाथ अपनी बेटी के कंधे पर रख दिए.
बेटी ने अपनी चूत सहलाते हुए पीछे देखा तो बाबूजी खड़े थे.
वो वहां से जाने लगी तो उसके बाप ने रोक लिया.
मेरी बीवी और मेरे ससुर जी, दोनों मिल कर चुदाई का खेल देखने लगे.
ससुर का खड़ा लंड अपने बेटी की गांड में चोट कर रहा था.
ससुर जी थोड़ा और आगे सरक आए. अब उनका लंड नाइटी के ऊपर से ही उनकी बेटी की गांड में घुसने का प्रयास कर रहा था.
अन्दर मैं अपनी सास की बहन को चोदने में लगा था और बाहर एक बाप अपनी बेटी की गांड में अपना लंड रगड़ रहा था.
ससुर जी का लंड भी गर्म हो गया था. उनके सर पर भी हवस ने कब्जा कर लिया था. ससुर ने अपने हाथ आगे लाकर अपनी बेटी के दूध पर हाथ रखे और धीरे धीरे से मम्मे दबाने लगे.
ससुर की लड़की भी मादक सिसकारियां भरने लगी.
मैंने अपने लंड को चूत के छेद पर रख धक्का लगा दिया.
उसकी टाईट चूत में मेरा लंड अभी सिर्फ दो इंच ही अन्दर घुसा पाया था कि सुनीता दर्द से कराह उठी.
उधर बाप अपनी बेटी के पीछे से लंड रगड़ने लगा, स्तन दबाने लगा.
बेटी भी बाप बेटी का रिश्ता भूल कर मजा लेने लगी.
उसी समय मैंने और एक प्रहार किया और दो इंच लंड अन्दर फंस गया.
यहां से सुनीता का दर्द शुरू हुआ और वो कराहती हुई भागने लगी, पर मैंने उसे कसके अपनी भुजाओं में दबोच रखा था.
बाहर मेरे ससुर का एक हाथ अपनी बेटी की चूत पर चला गया.
वो नाईटी के ऊपर से ही अपनी बेटी की चूत को सहलाने लगे.
बेटी पर भी चुदाई का नशा छाने लगा.
ससुर ने अपनी बेटी की नाइटी को ऊपर कर दिया और उसकी नंगी चूत सहलाने लगे.
यहां मैंने और एक धक्का लगाया और मेरा पूरा लंड चूत की सभी नसों को चीरता हुआ और अंदरूनी दरार को फैलाता हुआ अन्दर घुस गया.
सुनीता की सांस अटक गयी, उसकी चीख निकल गयी और वो छटपटाने लगी.
उसकी आंखों से आंसू निकल आए, उसके पैर दर्द के मारे कांप रहे थे.
वो रोती हुई मिन्नतें करने लगी- आंह जमाई जी … निकाल लो तुम्हारा औजार बहुत बड़ा है … मेरी तो फट गयी आंह बहुत दर्द हो रहा है. निकालो इसे प्लीज़!
पर मैं कहां कुछ सुनने वाला था.
ये नजारा दरवाजे के बाहर दो प्राणी देख रहे थे.
ससुर ने अपनी एक उंगली मेरी बीवी की चूत में सरका दी और हिलाने लगे. अनायास ही मस्ती में बेटी का हाथ अपने बाप के लंड पर चला गया.
सेक्स के नशे में चूर दोनों एक दूसरे को भोग रहे थे.
ससुर ने धोती साईड करके अपने बेटी के हाथ में अपना लंड थमा दिया.
वो उसे सहलाने लगी.
अन्दर की काम क्रीड़ा देख कर ससुर का लंड कड़क हो चुका था.
उन्होंने अपनी बेटी को सामने की ओर झुका दिया, नाईटी ऊपर करके उन्होंने अपनी बेटी की चूत को चाटना आरम्भ कर दिया.
मैंने भी कुछ देर रूक कर सुनीता से पूछा- तुम्हारा पति तुम पर चढ़ता नहीं है क्या?
वो मदांध भाव से बोली- साला चढ़ता तो है, पर उसका सामान तुमसे छोटा है.
मैं बोला- अच्छा तभी तुम रोयी थीं?
सुनीता- हां और इसी वजह से मुझे बच्चा नहीं हो रहा है.
अब वो सामान्य हो गयी थी. अपनी गांड उठाए हुए सुनीता बोली- लगता है आज बीजारोपण होकर ही रहेगा!
मैंने आहिस्ता आहिस्ता धक्के लगाने चालू किए.
अब उसका दर्द कम हो गया था और कुछ देर में दर्द की जगह मजे ने ले ली थी. अब वो भी साथ देने लगी थी.
मेरी मौसी सास मेरे लंड के नीचे पिस रही थी.
दरवाजे पर ससुर अपनी बेटी का चूत रस पी रहे थे.
अब वो उठ खड़े हुए और अपने लंड पर थूक लगाकर उन्होंने अपने बिटिया की चूत पर लंड को सैट किया और धक्का दे मारा.
एक बाप का लंड बेटी की चूत में घुस चुका था.
पर ठकुराईन की चूत की गहराई और चौड़ाई मैंने बढ़ा रखी थी, तो उसे दर्द नहीं हुआ … पर उसका बाप उसे चोद रहा है, ये सोच कर उसकी चूत पानी पानी हो रही थी.
यहां सुनीता अपना पानी छोड़ चुकी थी.
पर मैं अभी अभी बाकी था … मैं कहां रूकने वाला था.
मैं अपनी मौसी सास की दोनों टांगें ऊपर किए लंड से उसकी चूत के अन्दर चोट पर चोट मारना जारी रखे था.
साथ में मैं कभी उसका एक स्तन तो कभी दूसरा स्तन चूस रहा था और उसका एक निप्पल होंठों में पकड़ कर दबा और खींच रहा था.
इतनी देर में मौसी सास फिर से फड़फड़ाने लगी और झड़ने लगी.
उसकी चूत के पानी से लंड पूरी मस्ती से अन्दर बाहर होने लगा.
मैंने आसन बदला और सुनीता की एक टांग छोड़ दी.
उसकी दूसरी टांग को सीने से लगाए हुए उसे चोदना जारी रखा.
इस पोजिशन में मेरा लंड और अन्दर चोट पहुंचा रहा था. क्योंकि सुनीता मुझे पीछे धकेल रही थी.
करीब 8-9 मिनट हुए होंगे कि सुनीता की धार मेरे लंड को भिगोती हुई फिर से निकल पड़ी.
उधर दरवाजे पर बाप अपनी सगी बेटी को चोदे जा रहा था.
बाप पीछे से ठोक रहा था और बेटी अपने अन्दर बाप का लंड ले रही थी.
लेकिन मेरे ससुर जी ज्यादा देर ना टिक सके और कुछ मिनट बाद अपनी बेटी को चोद कर झड़ने लगे.
उन्होंने अपना वीर्य अपनी बेटी की चूत के अन्दर उगलना शुरू कर दिया.
मेरे ससुर का पानी बहुत ज्यादा निकला था क्योंकि दोनों काफी गर्म होकर चुदाई कर रहे थे.
बेटी का भी पतन हो चुका था.
अब मेरी बीवी का दिमाग जाग गया.
चुदाई का नशा उतर चुका था.
उन दोनों को एक दूसरे के साथ सेक्स करने में घृणा होने लगी.
बेटी ने अपने आप को संभाला और वो पहले भाग खड़ी हुई … दौड़ कर अपने रूम में चली गयी.
उसके जाते ही ससुर जी भी गर्दन झुकाए चल पड़े.
पर शायद उन्हें अपनी सगी बेटी को चोदने का एक अलग मजा भी तो मिला था.
इधर मैंने फिर से आसन बदला और सुनीता को घुमा कर एक करवट कर दिया, उसके पैर मोड़ दिए.
इससे उसकी गीली चूत मेरे सामने आ गई थी.
मैंने बेड के नीचे खड़े होकर लंड फिर से चूत के अन्दर धकेल दिया.
इस बार ठप ठप की आवाज से पूरा रूम भर गया.
करीब 5 मिनट बाद फिर से सुनीता की रसभरी निकल पड़ी.
लग रहा था कि सुनीता की बहुत मुद्दत के बाद दमदार चुदाई हो रही थी.
उसकी चूत चुद चुद कर लाल हो गयी थी.
मैंने भी अपने लंड का पानी उसकी चूत में भर दिया.
चूत लबालब भर गयी थी पर लंड अभी भी खड़ा था.
अब मुझे उसकी गांड का छेद दिख रहा था … मेरी नियत उसकी गांड पर खराब हो गयी.
मैंने अपना लंड बाहर निकाला. मौसी ने चैन की सांस ली, उसको लगा कि चुदाई खत्म हो गयी.
लंड निकलते ही मौसी के मुँह से ‘हस्स … आंह …’ निकल गया.
अब मैं अपनी मौसी सास की गांड खोलने के फिराक में था.
मेरा लंड मौसी के पानी से सना था.
मैंने पानी से सना अपना लंड गांड के छेद पर रख दिया.
मौसी कुछ समझ पाती, तब तक मैंने अपना लंड मौसी की अनचुदी गांड में ठेल दिया.
मेरा धक्का इतना दमदार था कि एक झटके में पूरा लंड गांड में अन्दर तक ठेल डाला.
दर्द के मारे वो तड़फने लगी और छटपटा कर दूर होने लगी.
वो लड़खड़ाई, पर मेरी दमदार पकड़ के आगे उसकी एक ना चली.
मैं भी बिना रूके ठप ठप आवाज के साथ गांड चोद रहा था.
मेरा लंड फिर से कड़क हो गया था.
दस मिनट की नॉनस्टॉप चुदाई के बाद गांड का छेद थोड़ा खुल गया.
गांड ने लंड को एडजस्ट कर लिया था. अब मौसी भी लंड गांड में घुसवाए लय में चुदवाने लगी.
सास की कसी गांड की कड़क पकड़ के आगे मैं ज्यादा देर रूक ना सका और लंड को अन्दर दबाकर मैंने अपना सारा वीर्य मौसी सास की गांड में भर दिया.
मैं मौसी के पीछे चिपक कर निढाल हो गया.
कुछ देर में लंड बाहर निकल गया और मेरा वीर्य मौसी के गांड से बहने लगा.
कुछ देर सुस्ता कर मैं बाहर निकल आया और अपने रूम में जाकर ठकुराईन के बाजू में लेट गया.
उसके बदन पर हाथ रख कर मैं सोचने लगा कि क्या खूब चुदाई हुई, मजा आ गया.
थोड़ी देर बाद मैं नींद के आगोश में चला गया. सुबह जल्दी आंख खुली.
दोस्तो, मेरे साथ इस सेक्स कहानी से जुड़े रहें और मुझे मेल करना न भूलें और बताएं कि आपको यह सास दामाद सेक्स कहानी कैसी लगी?
अगले भाग में सेक्स कहानी को विराम दूंगा लेकिन जाते जाते आपको एक कमसिन चूत की सीलतोड़ चुदाई का मजा देकर जाऊंगा.
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